Thursday, September 5, 2019

तेवरी-संग्रह-“कबीर ज़िन्दा है” से ‘अरुण लहरी’ की तेवरियाँ


तेवरी-संग्रह-“कबीर ज़िन्दा है” से ‘अरुण लहरी’ की तेवरियाँ
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एक
देश यहाँ के सम्राटों ने लूट लिया
सत्ताधारी कुछ भाटों ने लूट लिया।

जनपथ आया था खरीदने सुख लेकिन
उसे राजपथ की हाटों ने लूट लिया।

जब-जब मंझधारों से कोई नाव बची
तब तब उसको इन घाटों ने लूट लिया।

नीदों में था उस मजूर के एक सपना
लालाजी के खर्राटों ने लूट लिया।

न्याय-तुला तक पहुंच हुआ खुश होरीराम
मगर उसे नकली बाटों ने लूट लिया।
*अरुण लहरी             


                                                                                                                 
 दो
भ्रष्ट हुई सरकार, आंकड़े बोल रहे
जरा पढ़ो अखबार, आंकड़े बोल रहे।

आज देश की सांस-सांस पर कर्जे का
लदा विदेशी भार, आंकड़े बोल रहे।

हर गर्दन पर मंहगाई की, शोषण की
लटक रही तलवार, आंकड़े बोल रहे।

गाँव-गाँव में, हर नगरी में धर्म हुआ
अब चाकू की धार, आंकड़े बोल रहे।

नहीं दिखाई पड़ता कोई अपराधी
होता लेकिन वार, आंकड़े बोल रहे।
*अरुण लहरी             

तीन
ये कैसी खुशहाली मेरे देश में
हर सू है कंगाली मेरे देश में।

मुल्क हुआ निर्जीव यहाँ जबसे सत्ता
गिद्धों ने हथियाली मेरे देश में।

ऊपर से दिखती ये जनता भली-भली
है अन्दर से खाली मेरे देश में।

मंचों पर देते भाषण अब गूंगे
बहरे पीटें ताली मेरे देश में।

अंधकार का साम्राज्य है गली-गली
यै कैसी दीवाली मेरे देश में।
*अरुण लहरी             

                                                                                                               
चार
व्यक्ति पूजा अब यहाँ व्यापार होती जा रही है।
इसलिए इन्सानियत बेकार होती जा रही है।

स्वार्थ के इस दौर में मुस्कराती ये सदी
आजकल दुःख-दर्द का भंडार होती जा रही है।

अब सजाते हैं इसे तस्कर-डकैत देखिए
राजनीति खून का शृंगार होती जा रही है।

लूट कर खाते हैं वे अब देश की हर योजना
उनकी खातिर हर प्रगति आहार होती जा रही है।

इस तरह की आ गई हैं मुल्क में खुशहालियां
आज रोटी पेट पर तलवार होती जा रही है।
*अरुण लहरी             

                                                                                                               
पांच
जब से सत्ता लगी सफाई अभियानों में
और गन्दगी बढ़ी सफाई अभियानों में।

हर कोटे को साफ कर गये जनसेवक जी
सारी चीनी गई सफाई अभियानों में।

फर्जी मुठभेड़ों में मारा निर्दोषों को
पुलिस इस तरह रही सफाई अभियानों में।

पहुंच गयी हर एक योजना अब घूरे पर
ऐसी चर्चा खुली सफाई अभियानों में।

शहर-शहर में हुई भ्रूण की यूं हत्याएं
फिर से नन्हीं जान गयी सफाई अभियानों में।
*अरुण लहरी             

                                                                                                                 
छः
दौलत अब ईमान हो गयी
इन्सां की पहचान हो गयी।

होरी की थाने का डर है
झुनियाँ आज जवान हो गयी।

हर इन्सां की आज जिन्दगी
एक चींटी की जान हो गयी।

अब चर्चा है घर-घर द्वारे
एक कुर्सी भगवान हो गयी।

आज सलीबों पर है हँसिका
ईसा की सन्तान हो गयी।
*अरुण लहरी             
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संपर्क-टीकाराम बिल्ंिडग, आगरा रोड, अलीगढ़।

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