कुमार मणि की तेवरी-संग्रह-“कबीर ज़िन्दा है” से
दो तेवरियाँ
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सब ही आदमखोर यहां हैं
डाकू, तस्कर, चोर यहां हैं।
खुशियां तो बनवासिन सारी
केवल गम के भोर यहां हैं।
अबलाओं की लुटती इज्जत
पाप बड़े घनघोर यहाँ हैं।
अब तो चांद हो गयी कुर्सी
नेता हुआ चकोर यहाँ हैं।
+कुमार मणि
दो
जुल्म की दीवार ढाना चाहता हूं
इक नया संसार लाना चाहता हूं।
छीन लीं
जिसने हमारी रोटियाँ
अब उसे
भूखा सुलाना चाहता हूं।
सांस भी लेना यहाँ मुश्किल हुआ
इस व्यवस्था को हटाना चाहता हूं।
क्रान्ति हो, विद्रोह हो, विद्रोह हो
गीत ऐसे आज गाना चाहाता हूं।
+कुमार मणि
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सम्पर्क- नोरंगाबाद अलीगढ़।
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